बहुत दिनों बाद आज मैंने शिवानी को खुश देखा। उसने बोला कि pics का matter solve हो गया है। अच्छा है उसकी main टेंशन तो दूर हुई।
मगर प्रदीप अमित के पास राजस्थान क्यों जा रहा है? कोई बात नहीं, शाम को सब कुछ पता चल जायेगा।
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शिवानी काफी relax थी। आज हम लोगों ने बहार डिनर करने का प्लान बनाया। ज्यादा लोग नहीं थे। मैं, शिवानी, प्रदीप के कुछ friends (गौरव तिवारी, आशीष खोसला, पूनम यादव, और पूजा) भी थे। मैं सबसे दूसरी बार मिल रही थी। पहली बार शिवानी ने मुझे मेरे birthday पर सबसे introduce करवाया था। लेकिन आज पहली बार उन लोगों से बात कर रही थी और साथ घूम रही थी। अच्छा लग रहा था। प्रदीप ने भी आना था मगर किसी वजह से आ नहीं सका। आशीष ने बताया कि उसको राजस्थान जाने के लिए कुछ सामन चाहिए था इसलिए कहीं ओर गया है। Late हो जायेगा इसलिए नहीं आएगा।
हम सब डिनर करने के बाद मार्केट में टहल रहे थे। शिवानी खुश थी। मुझे भी उसको खुश देख कर अच्छा लग रहा था। प्रदीप को thanks बोलना था। मगर वह वहां नहीं था।
सोच रही थी कैसे कोई अनजान किसी की इतनी help कर सकता है। वह तो शिवानी के लिए राजस्थान तक जा रहा है। मैंने मार्किट में चलते हुए shop पर एक छोटी सी गणेशा की मूर्ति देखी। वह मुझे काफी अच्छी लगी। सोचा इसको प्रदीप के लिए buy करूँ।
मैं शॉप के अंदर गयी और उसको buy किया।
मैंने वह मूर्ति आशीष को दी और कहा “आशीष, I need a favor“
आशीष: Yes please
Me: मैंने यह मूर्ति प्रदीप के लिए buy की है। क्या आप उसको मेरी तरफ से दे देंगे। (मैंने आशीष को वह मूर्ति दिखाई)
आशीष: आप खुद देंगे तो अच्छा रहेगा
Me: हाँ मैं खुद देना चाहती थी। मगर वह यहाँ नहीं है। कल राजस्थान जाना है उन्होंने। पता नहीं कब वापिस आना होगा और कब मिल मिलना होगा।
Me: बात यह भी है कि february के last week हम लोग अपने घर जायेंगे। क्यूंकि मार्च first week हम लोगों की कॉलेज में mid term evaluation भी है।
Me: पिछले कुछ दिनों में बहुत कुछ हुआ है। हम दोनों को specially शिवानी को रिलैक्स होना है। रिलैक्स होने के लिए घर से अच्छी जगह कोई नहीं होती। Parents को भी बहुत miss कर रहे हैं।
आशीष: मैं आपकी बात समझता हूँ। फिर भी यही कहूंगा कि आप उसको यह मूर्ति खुद देना।
हम दोनों के बात के बीच में गौरव बोला “Please do not mind. Actually प्रदीप थोड़ा अजीब है। मंदिर तो चला जाता है मगर मूर्ति में यकीन नहीं करता। नास्तिक है वो। “
शिवानी: मैं इस बात को नहीं मानती। मैंने उसके left wrist के upper corner पर ओम symbol का tattoo देखा है।
गौरव: तभी बोल रहा हूँ वह अजीब है। मैं यह मूर्ति दूंगा तो वह लेगा ही नहीं।
आशीष: हाँ यदि आप दोगे तो ज़रूर ले लेगा (थोड़ा शरारत वाले अंदाज़ में कहा)
शिवानी: हाँ Priya तू मूर्ति देगी तो ले लेगा।
मुझे छोड़ कर सब हंसने लगे।
मैंने उनसे पूछा “क्या मतलब? मुझे कुछ समझ नहीं आया“
शिवानी: नहीं समझ आया तो वह भी प्रदीप समझा देगा
सब फिर से हंसने लगे।
Me: ओके कोई बात नहीं मत बताओ। जब प्रदीप मिलेगा मैं खुद मूर्ति दे दूंगी।
शिवानी: चलो अब घर चलते है। काफी लेट हो गए हैं हम लोग।
आशीष: हाँ, मैं आप लोगों को घर तक drop कर देता हूँ। तब तक गौरव भी पूनम और पूजा को घर drop कर आएगा।
Me: आशीष हम लोग खुद चले जायेंगे।
आशीष: अरे कोई बात नहीं। मुझे और गौरव को बाद में उस तरफ ही जाना है। प्रदीप से मिलने जाना है। गौरव भी पूजा और पूनम को घर छोड़ कर यहाँ आएगा। फिर हम चले जाएंगे।
शिवानी: ओके। एक काम करते हैं। पूजा और पूनम आज हमारे साथ रह लो। तुम दोनों आगे से चले जाना।
गौरव: हाँ यह idea अच्छा है।
Me: आप लोगों को कोई problem तो नहीं है? (मैंने पूजा और पूनम से पूछा)
पूनम: No Issue
हम सब वहां से निकल गए। आशीष और गौरव हम सबको घर drop करके वहां से निकल गए।
कहाँ गए इसका idea हम चारों में से किसी को भी नहीं था।
घर पहुंच कर शिवानी ने हम सबके लिए कॉफ़ी बनाई। कॉफ़ी पीते हुए हम सब TV पर मेरे birthday की pics देख रहे थे। प्रदीप ने वह pics शिवानी को pendrive में दी थी। सभी pics बहुत अच्छी थी। सब हम उन moments को सोच कर enjoy कर रहे थे। मैं उन pics में से प्रदीप को ढूंढ रही थी। मगर उसकी एक pic भी नहीं थी।
मैंने शिवानी से पूछा “इसमें प्रदीप कहाँ है?“
शिवानी: वह photographer था। अपनी pics कैसे लेता।
Me: ओके
Me: शिवानी अब मुझे सब कुछ बता।
शिवानी: ओके। कॉफ़ी फिनिश करके सब बैडरूम में चलते हैं। वहां बैठ कर बात करते हैं।
पूनम: ओके
हम सबने कॉफ़ी फिनिश की और बैडरूम आ गए।
Me: वैसे शिवानी कल तूने मुझे बहुत टेंशन दी। मैं रात भर यही सोचती रही कि एक अनजान लड़के के साथ उसके घर रुकी है। जिसको तुम्हारी उन pics के बारे में पता है।
शिवानी: तुमसे ज्यादा टेंशन तो प्रदीप को थी और मुझे कितनी बार बोला “पता नहीं priya क्या सोच रही होगी कि प्रदीप किसी अनजान लड़की के साथ रात को क्या कर रहा था। “
शिवानी, पूनम और पूजा हसने लगे
Me: क्या मतलब। उसको क्या tension होगी मेरे सोच कर।
पूजा: तुमको सच में कोई idea नहीं है?
Me: कोई मुझे clearly बताएगा?
शिवानी: Actually प्रदीप likes you
Me: हद है शिवानी। तू कुछ भी बोलती है।
पूनम: वह सच बोल रही है।
Me: फालतू की बातें।
शिवानी: कोई फ़ालतू बात नहीं है। अगर फालतू है तो उसके बारे में इतना क्यों सोच रही है। पहले गणेशा की मूर्ति, घर आकर pics में प्रदीप को ढूँढना और अब….
Me: Shutup शिवानी। मुझे तेरी फिकर थी और उसने तेरी help की। इससे ज्यादा और कुछ नहीं।
Me: शिवानी तू मुझे यह बता कि कल ऐसा क्या हुआ जो उसको राजस्थान जाना पड़ा और pics की प्रॉब्लम कैसे solve हुई।
शिवानी: ओके, खड़ूस है तू भी उसके जैसे
शिवानी: सुन अब
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